जिद्द हमेशा सही नहीं होती !

 गांव में एक पंचायत भवन था जो पुराना हो चुका था, लोग पंचायत भवन के सामने बैठे थे तभी एक गधा पंचायत भवन के सामने आता है जिसको लोग रोक लेते हैं

तभी कुछ लोग कहते हैं कि इसको गांव से निकाल कर दो और जिसका है वह ले जाएगा,


तभी कुछ लोग उठतें हैं और कहते हैं कि नहीं यह अब इसी गांव में रहेगा, जिसकी बजह से गांव वालों में आपस में वहस शुरू हो गई जिसको  देखते देखते गांव में दो पार्टी बन गईं, एक पार्टी जो गधे को गांव में रखने के लिए तेयार नहीं है, और दुसरा वह जो कह रहा है कि  गधा गांव में ही रहेगा, और फिर गधे के लिए चुनाव हुआ । जो गधे को गांव में रखना चहते थे उनकी संख्या ज्यादा हो गई और जो गधे को गांव से बाहर करने की बात कर रहे थे वह कम रह गए। जिसके वजह से गधा गांव में ही रखा गया ।





एक दिन ऐसा हुआ की लोग गधे को गांव की पंचायत भवन की छत पर चढ़ाने की बात करने लगे जब की वह जानते थे, की पंचायत भवन कमजोर है, लेकिन वह माने नहीं गधे को  छत पर  की कोशिश करने लगे और आखिर में कशमकश करके गधे को छत पर चड़ा ही दिया जब गधे को छत पर चढ़ा दिया तब बहुत खुश हुए और दुसरी पार्टी के लोगों को चिढ़ाने लगे, शाम हुई गधे को ठण्डी हवा लगी और गधा खुशी में दोलत्ती चलाने लगा  जिससे पंचायत भवन की छत कमजोर जरजर होने लगी, और तभी पहली पार्टी के लोगों ने देखा की यह तो छत खराब कर देगा तब सभी लोग मीलकर उसको छत से नीचे उतारने की कोशिश करने लगे।  लेकिन गधा तो गधा था गधे ने उतरने का नाम नहीं लिया और जो भी गधे को उतारने की कोशिश करता तब गधा उसको दोलत्ती मारता गधे ने इस करदर अतंक सा मचा दिया की पंतायत भवन की छत को जरजर दिया ।

Donkey on the roof


अब गांव के सभी लोग सोच रहें हैं की, इसको कैसे उतारे अब सवाल और चींता दोनो तेज़ हैं की,

सवाल यह है, क्यों इसको रोका ? और इसको क्यों चढ़ाया ?

चिंता यह है की अब इसको कैसे पंचायत भवन से उतारें  

अगर गधा समय पर उतर गया तब तो थीक है नहीं तो गधा तो गिरेगा ही लेकिन छत को जरूर लेकर गिरेगा

देखते हैं की आगे गधा क्या करता है। और जो गधे के समर्थक क्या करते हैं। 

 

इस लेख में एक कहानी को रखा गया जिससे आज की स्थिती मापने की कोशिस की है

और उम्मीद करता हुँ की आप मेरे इस लेख को समझेंगे

शाहरूख ख़ान

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