ट्रंप कि भारत से गुजारिश या धमकी ?


शाहरुख खान
आज भारत समेत कई सारे देश  कोरोना वायरस जैसी ख़तरनाक विमारी से जूझ रहे हैं।
लेकिन अब चीन से एक खुशी कि किरण दिखाई दे रही है चीन में कोरोना का केहर कम हो गया है।  
   


लेकिन अभी अमेरिका जैसे देश में वायरस बहुत तेजी से फैल है ।
इस वायरस कि सबसे ज्यादा ख़तरनाक बात यह है कि इसका कोई इलाज नहीं है और यह एक से दूसरे व्यक्ति को जल्दी हो जाता है।  जिससे कि यह कुल 3 महीने में विश्व भर में फैल गया है ।
4 अप्रैल को अमेरिका के राष्ट्रपति और भारत के प्रधान मंत्री की काफी समय फोन पर बातें हुई और अमेरिका के  राष्ट्रपति ने प्रधान मंत्री मोदी से hydroxychloroquine मेडिसिन कि मांग की ।


जब की भारत ने देश में कोरोना वायरस का खतरा भांपते हुए 25 मार्च 2020 से इस दवा के निर्यात पर प्रतिबंध  लगा रखा है।
6 अप्रैल को डोनाल्ड ट्रंप ने एक मीटिंग में कहा था कि ' अगर भारत हमारी मदद नहीं करता तब उसको करारा जवाब दिया जाता ।


आखिर hydroxychloroquine किस मर्ज में काम आती है।


Hydroxychloroquine  यह दवाई "मलेरिया"  रोग में काम आती है गौरतलब है कि वैज्ञानिकों का मानना है  hydroxychloroquine कोरोना वायरस से लडने में भी मदद कर रही है जिसकी वजह से ट्रंप ने भारत से इस दवा को अमरीका भेजने की गुहार लगाई थी। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया के मरीजों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। इसका इस्तेमाल गठिया के इलाज के लिए भी किया जाता है।
लेकिन ट्रंप के ये अल्फ़ाज़ " करारा जवाब देते " इसको क्या समझा जाए।

गुजारिश या धमकी ?

यह सवाल उठना लाज़मी है ।
अगर आप इसको कहोगे की ये गुजारिश है। तब साफ दिखाई देता है कि कोई भी मदद मांगने वाला इंसान इस तरह से गुजारिश नहीं करता है।
लेकिन अगर धमकी कहोगे ?, तो क्या हमारे प्रधान मंत्री जी ने इस धमकी से डर कर इस दवा पर लगे बैन को हटा दिया। तब हमारे देश के प्रधान मंत्री का 56 इंच का सीना कहां गया ?


और इसको हम ट्रंप कि धमकी इस तरह से भी देख सकते है कि, प्रधान मंत्री मोदी ने जिस दवाई को अमेरिका भेजने का फैसला कर लिया है।
उस मेडिसिन कि भारत को भी काफी जरूरत है ।
इंटरनेशनल बिजनेस टाइम्स (IBT) में छपी एक खबर के मुताबिक राजस्थान सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन 200,400 mg टैबलेट्स के 25 प्रतिशत स्टॉक को भी वापस भेज दिया है।
अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने कोरोना वायरस की महामारी को देखते हुए इस दवा का स्टॉक अपने पास रखा था। बताया गया कि इस दवा का इस्तेमाल ज्यादा गंभीर  मरीजों के लिए किया जा सकता है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया के मरीजों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवा है। इसका इस्तेमाल गठिया के इलाज के लिए भी किया जाता है। कोरोना वायरस की वजह से इस दवा की मांग में अचानक उछाल आया। और इसकी आपूर्ति में कमी होने लगी है। इस दवा की कमी कि वजह से गठिया के मरीजों के लिए भी असुविधा पैदा होने लगी है।

इंटरनेशनल इकोनोमिक टाइम्स के मुताबिक ट्रंप कि धमकी के बाद इस दवा से प्रतिबंध हटा लिया गया और कुछ घंटो के बाद ही एक बयान जारी किया गया कि, भारत अब सभी कोरोना वायरस संक्रमित देशों की मदद करेगा ।
यानी जिसको जरूरत है hydroxychloroquine की वह भारत से के सकता है ।

वहीं राजस्थान की एक पत्रकार @tabeenahAnjum ने ट्विटकर लिखा है कि।
जयपुर में hydroxychloroquine की एक भी गोली उपलब्ध नहीं है । अगर कोरोना के मरीजों के इलाज के लिए जरूरत पड़ी hydroxychloroquine नहीं मिल सकती। गठिया के मरीज HCQS से वंचित हैं। स्टॉक कहां गया? और फिर आप भारत को ट्रंप के सामने घुटने टेकते हुए देखते हैं।’’

धमकी का शक -
कोई भी इंसान पहले अपनी जरुरत को पूरा करता है ना कि अपनी जरूरत कि कोई भी चीज किसी दूसरे मुल्क को देता है माना भारत ने अमेरिका की मदद की लेकिन मदद भी उस इंसान की करनी चाहिए जो कि आपका आदर करे ना कि आपको धमकी दे ।

- महाराष्ट्र में भी इस दवा की कमी है । जो कि ये बहुत दुखद खबर है ।
इस बारे में टिप्पणी के लिए बीएमसी के अधिकारी उपलब्ध नहीं थे। स्वास्थ्य मंत्रालय के आज के बुलेटिन के अनुसार, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की अनुमानित आवश्यकताओं का 3 गुना स्टॉक देश में मौज़ूद है। फिर सवाल उठता है कि वह बीएमसी डॉक्टरों को क्यों नहीं मिल रहा है?

लेखक- शाहरुख खान

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